Oct 28 2025 / 12:53 PM

‘‘सिंहासन सिंह को स्वाति से नफरत करना अच्छा लगता है!‘‘

यह कहना है एण्डटीवी के शो ‘संतोषी मां सुनाए व्रत कथायें‘ में सिंहासन सिंह की भूमिका निभा रहे सुशील सिंह का

मूल रूप से वाराणसी के रहने वाले और भोजपुरी के जाने-माने अभिनेता सुशील सिंह ने मनोरंजन उद्योग में एक लंबा सफर तय किया है। एण्डटीवी के ‘संतोषी मां सुनाए व्रत कथायें‘ में धूर्त ससुर, सिंहासन सिंह के किरदार में उन्हें अपने शहर और देशभर के दर्शकों से बहुत सराहना मिल रही है। सुशील ने अपनी अभिनय यात्रा, अपने मौजूदा किरदार के साथ-साथ काफी और चीजों के बारे में बात की।

टीवी इंडस्ट्री में आपका अब तक का सफर कैसा रहा है?

मैं कई सालों से एंटरटेनमेन्ट इंडस्ट्री का हिस्सा रहा हूं। मैंने पहले भोजपुरी फिल्मों में और कुछ क्षेत्रीय फिल्मों में काम किया है। कुल मिलाकर, मैंने लगभग पचहत्तर फिल्मों में काम किया है। सच कहूं तो सिंहासन सिंह के रूप में मुझे जो पहचान और सराहना मिली है, वह जबर्दस्त है और इसने मुझे आज घर-घर में पहचान दिलायी है। मैं रश्मि जी और उनकी टीम का आभारी हूं, जिन्होंने मुझे इस शानदार शो का हिस्सा बनने का मौका दिया और मुझे इस भूमिका के लिए कास्ट किया। यह एक नकारात्मक और खलनायक का किरदार है, लेकिन मैंने इसके हर हिस्से का भरपूर आनंद लिया है। साथ ही एक अभिनेता के रूप में मैंने बहुत कुछ सीखा भी है। मैंने अभिनय में बिना किसी बैकग्राउंड के शुरूआत की, लेकिन मेरा एक ही सपना था कि मैं अपने आदर्श कमल हासन की तरह लोगों का मनोरंजन कर पाऊं। मैं हमेशा कमल हासन के अभिनय कौशल और उनके पात्रों की विविधता से बहुत प्रभावित और प्रेरित रहा हूं।

शो में अपनी भूमिका के बारे में बताएं?

मैं इंद्रेश (आशीष कादियान) के पिता सिंहासन सिंह की भूमिका निभा रहा हूं। वह अपने परिवार के प्रति वफादार है और कोई बाहर वाला रिश्तों को बर्बाद कर दे, वह कतई बर्दाश्त नहीं कर सकता। चाहे वह उसकी बहू स्वाति (तन्वी डोगरा) ही क्यों ना हो। वह उसे बाहर वाला मानता है। वह कभी भी इंद्रेश के स्वाति से शादी करने के पक्ष में नहीं रहा और उसने उसे अपनी बहू के रूप में स्वीकार नहीं किया। वह स्वाति से नफरत करता है और हमेशा उसमें दोष तलाशता रहता है। उसके रास्ते में मुश्किलें पैदा करता है और इंद्रेश के साथ उसकी शादी तोड़ देता है, अंततः उसे अपने जीवन से पूरी तरह से काट देता है। वह उसे इंद्रेश से अलग करने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। उसके और स्वाति के बीच तनाव ने घर और इंद्रेश के जीवन में काफी तबाही मचा रखी है। हाल ही में, सिंहासन सिंह की पुरानी दोस्त, लैला (रिद्धिमा तिवारी), परिवार वालों से मिलने आयी है। वे दोनों मिलकर इस खुशहाल जोड़े के लिये और भी बाधाएं पैदा करते हैं।

आपने अतीत में दिलचस्प रूप से कई ग्रे किरदार निभाये हैं। क्या आप खलनायक की भूमिका निभाना पसंद करते हैं?

मैंने अपने कॅरियर में बहुत सारे ग्रे और नेगेटिव किरदार निभाये हैं। वे मुझे बहुत आकर्षित करते हैं और मैंने हमेशा उनका आनंद लिया है। ऐसे किरदार प्रयोग करने और अभिनय कौशल को दर्शाने के काफी मौके देते हैं। मुझे ग्रे शेड्स निभाने का शौक है और हमेशा खलनायक की भूमिका निभाने का मौका मिलने पर खुशी महसूस होती है। एक खलनायक उतनी ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जितना कि एक नायक। इससे भी ज्यादा, जब आप अपने महत्वपूर्ण किरदार के बारे में सोचते हैं, जिसकी वजह से कहानी अपने आप ही 360 डिग्री मुड़ जाती है। जब कहानी खलनायक की चाल पर निर्भर करती है तो आप अपने किरदार के बारे में सोचते हैं। खलनायक की भूमिका निभाना रोमांचक और चुनौतीपूर्ण है। यह नई चीजें सीखने का मौका देती है। इसमें कई सारी परतें होती हैं जोकि एक्टर को अपनी तरफ से क्रिएटिव इनपुट देने का अवसर देती हैं। हालांकि एक बहुमुखी अभिनेता होने के लिए, सभी प्रकार की भूमिकाओं के लिए तैयार होना चाहिए।

ऑन और ऑफ-स्क्रीन कलाकारों के साथ अपने रिश्ते के बारे में आप क्या कहेंगे?

कास्ट के साथ करीब दो साल बिताने के बाद ऐसा लगता है जैसे हमारे बीच खून का रिश्ता है। हम एक बड़े संयुक्त परिवार की तरह रहते हैं और अब उनके साथ रहना इसे और अधिक वास्तविक बनाता है। हमारे लंच ब्रेक लंबे होते हैं, जिसमे एक-दूसरे के खाने का आनंद लेते हुए हम खूब हंसते हैं और चुटकुले सुनाते हैं। मेरे ऑन-स्क्रीन बेटे इंद्रेश के साथ मेरा रिश्ता बेहतरीन और बेजोड़ है, बिल्कुल रियल-लाइफ की तरह। आशीष और मैं दोनों अभिनेता के रूप में एक-दूसरे का सम्मान करते हैं। हमारा स्वभाव काफी मिलता-जुलता है। हम अंतर्मुखी हैं और उसके साथ रहना सुकून भरा होता है। दूसरी ओर, सिंहासन सिंह को स्वाति से नफरत करना पसंद है! लेकिन तन्वी एक बेहतरीन इंसान है और वह संवेदनशील, हंसमुख और अत्यधिक प्रतिभाशाली है। जब आप उनसे बात करते हैं तो वह बहुत विनम्र होती हैं और सबसे मिलजुल कर रहती हैं। वह जिंदादिल हैं और वीडियो और रील्स बनाने का मौका नहीं छोड़तीं। कोई उन्हें कभी ना नहीं कह सकता!

सिलवासा में शूटिंग करते हुए कैसा लग रहा है?

यह बेहतरीन अनुभव है! काम मुझे अब छुट्टी जैसा लगता है। यह जगह बहुत मनोरम है, माहौल में शांति है और लोग मिलनसार हैं। मैं सख्त प्रोटोकॉल का पालन करते हुए अपनी टीम के साथ शूटिंग कर रहा हूं ताकि सभी सुरक्षित रहें। हमारी सुरक्षा हमारे अपने हाथ में है। हमें सलाह दी गई है कि शूंिटंग लोकेशन के दायरे में ही रहना है और पूरी तरह खुले में बाहर निकलने से बचना है।

मुंबई की तुलना में वाराणसी एक अनूठा शहर है, आप किसे पसंद करते हैं?

लाॅकडाउन के दौरान मैं अपने मूल स्थान वाराणसी चला गया था। मैं बहुत दिनों बाद अपने परिवार से मिलने घर गया था। जब से मैं मुंबई आया हूं, हमें एक-दूसरे से मिलने का मौका कम ही मिलता है। भले ही अपने काम के लिए मुझे सफर करना पड़ता है, लेकिन मैं अभी भी अपनी जड़ों से जुड़ा हुआ हूं। ऐसा कोई दिन नहीं जाता जब मुझे इस खूबसूरत शहर की याद नहीं आती। यह देवभूमि है और वहां हर कोई बहुत समर्पित और शांतिप्रेमी है। घर वापस जाना मुझे पुराने दिनों की याद दिलाता है जब मैं अपने टीनएज में सड़कों पर घूमा करता था। शो के अंदर वाराणसी का सेट देखकर मुंबई में रहते हुए भी अपने शहर वाराणसी की यादें ताजा हो जाती हैं, यह मुझे अपने घर की याद दिलाता है। मैं जहां भी जाता हूं घर की यादें साथ लेकर चलता हूं।

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