नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को वाराणसी के डॉक्टरों, हेल्थकेयर वर्कर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स से बातचीत कर कोविड-19 की स्थिति का जायजा लिया। इस दौरान प्रधानमंत्री कोविड-19 से जान गंवाने वाले लोगों को याद करते हुए भावुक हो गए।
पीएम मोदी ने भावुक होते हुए कहा, ये महामारी इतनी बड़ी है कि आप सबके कठिन मेहनत और असीम प्रयासों के बावजूद हम अपने परिवार के कई सदस्यों को नहीं बचा पाए। इस वायरस ने हमारे कई अपनों को हमसे छीना है। मैं उन सभी लोगों को अपनी विनम्र श्रद्धांजलि देता हूं और उनके परिजनों के प्रति सांत्वना व्यक्त करता हूं।
पीएम मोदी ने कहा, कोरोना की दूसरी लहर में हमें एक साथ कई मोर्चों पर लड़ना पड़ रहा है। इस बार संक्रमण दर भी पहले से कई गुना ज्यादा है और मरीजों को ज्यादा दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ रहा है। इससे हमारे हेल्थ सिस्टम पर बहुत बड़ा दबाव पैदा हो गया है। बनारस तो वैसे भी पूरे पूर्वांचल की स्वास्थ्य सुविधाओं का केंद्र है। ऐसे में स्वाभाविक तौर पर यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था पर इतना दबाव बहुत बड़ी चुनौती बन कर आया।
प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान वाराणसी के हेल्थकेयर वर्कर्स की तारीफ की और साथ ही कहा कि पिछले 7 सालों से यहां के हेल्थ सिस्टम को लेकर जो काम हुआ, उससे कोविड से लड़ाई में बहुत मदद मिली। उन्होंने कहा, मैं काशी (वाराणसी) का एक सेवक होने के नाते हर एक काशीवासी का धन्यवाद देता हूं। विशेष रूप से हमारे डॉक्टर्स ने, नर्सेस ने, टेक्नीशियन, वॉर्ड बॉयज, एम्बुलेंस ड्राईवर्स, आप सभी ने जो काम किया है, वो वाकई सरहनीय है। आपने जिस तरीके से खुद को संभाला है, आज उसकी पूरे देश में चर्चा हो रही है।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि बनारस ने जिस स्पीड से इतने कम समय में ऑक्सीजन और आईसीयू बेड्स की संख्या बढ़ाई है, जिस तरह से इतनी जल्दी पंडित राजन मिश्र कोविड अस्पताल को सक्रिय किया है, ये भी अपने आप में एक उदाहरण है। पीएम ने कहा, लेकिन अभी संतोष का समय नहीं है। हमें अभी एक लंबी लड़ाई लड़नी है। अभी हमें बनारस और पूर्वांचल के ग्रामीण इलाकों पर भी बहुत ध्यान देना है।
पंडित राजन मिश्रा कोविड अस्पताल का निर्माण रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और सेना के संयुक्त प्रयास से किया गया है। पीएम मोदी ने ‘जहां बीमार, वहीं उपचार’ के सिद्धांत पर काम करने की जरूरत बताते हुए छोटे-छोटे कंटेनमेंट जोन बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, घर-घर दवाइयां बांटने के अभियान को ग्रामीण इलाकों में जितना हो सके, उतना व्यापक करना है। कोविड के खिलाफ गांवों में चल रही लड़ाई में आशा और ANM बहनों की भी भूमिका बहुत अहम है। मैं चाहूंगा कि इनकी क्षमता और अनुभव का भी ज्यादा से ज्यादा लाभ लिया जाए।
इसके अलावा उन्होंने ‘ब्लैक फंगस’ (म्यूकोरमाइकोसिस) को कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में नई चुनौती बताया और कहा कि इससे निपटने के लिए जरूरी सावधानी और व्यवस्था पर ध्यान देना जरूरी है। एक बार फिर वैक्सीन लगवाने की अपील करते हुए उन्होंने कहा, वैक्सीन की सुरक्षा के कारण काफी हद तक हमारे फ्रंटलाइन वर्कर्स सुरक्षित रहकर लोगों की सेवा कर पाए हैं। यही सुरक्षा कवच आने वाले समय में हर व्यक्ति तक पहुंचेगा। हमें अपनी बारी आने पर वैक्सीन जरूर लगवानी है।


