हिंदू धर्म में हर महीने दो एकादशी पड़ती है, जिसमें लोग व्रत रखकर मनोवांछित फल की कामना करते हैं। चैत्र मास की कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी ‘पापमोचनी एकादशी’ कहलाती है। भविष्योत्तर पुराण में पापमोचनी एकादशी के बारे में विस्तृत वर्णन मिलता है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, संसार में ऐसा कोई भी प्राणी नहीं है, जिसने जाने-अनजाने में कोई पाप न किया हो।
ऐसी मान्यता है कि पाप दंडों से बचने के लिए पापमोचनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस एकादशी का व्रत रखने से पापों से मुक्ति मिलने के साथ-साथ सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। पापों का नाश करने वाले त्योहार के कारण इसे पापमोचिनी एकादशी कहा जाता है। इस बार ये व्रत इस वर्ष सोमवार यानी 28 मार्च को पड़ रही है।
इस व्रत में भगवान विष्णु के चतुर्भुज रूप की पूजा करने की परंपरा है। एकादशी तिथि पर जागरण करने से कई गुणा फल प्राप्त होता है। इसलिए उपासक एकादशी में रात में भी निराहार रहते हैं और भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करते हैं। इसके अलावा इस व्रत को रखने और विधिपूर्वक पूजा करने से लोगों के शारीरिक और मानसिक कष्ट भी दूर होते हैं। ये व्रत बुरे और गलत कार्यों से दूर रहने और दरिद्रता दूर करने में भी सहायक होता है। पापमोचिनी एकादशी का व्रत रखने से सभी दुख दूर होते हैं और जीवन में सुख-शांति व समृद्धि आती है।
शुभ मुहूर्त-
एकादशी तिथि की शुरुआत – मार्च 27, 2022 को शाम 06:04 बजे से होगी
एकादशी तिथि का समापन – मार्च 28, 2022 को शाम 04:15 बजे होगा
पूजा विधि-
एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके घर के मंदिर में जाकर भगवान विष्णु के सामने एकादशी व्रत का संकल्प लें।
फिर एक वेदी बनाएं और पूजा करने से पहले इस पर 7 प्रकार के अनाज जैसे उड़द दाल, मूंग, गेहूं, चना, जौ, चावल और बाजरा रखें।
वेदी के ऊपर कलश भी स्थापित करें और इसे आम या अशोक के 5 पत्ते से सजाएं।
वेदी पर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें।
इसके बाद पीले फूल, मौसमी फल और तुलसी भगवान को अर्पित करें।
इसके बाद एकादशी कथा सुनें. जितनी बार हो सके ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें।
धूप और दीप से विष्णु जी की आरती करें।
भगवान को भोग लगाएं। भगवान को केवल सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
भोग में तुलसी जरूर शामिल करें। भगवान विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय है। भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
जरूरतमंदों को भोजन या आवश्यक वस्तु का दान करें।
व्रत शुरू करते समय ब्रह्मचर्य बनाए रखें।
शराब और तंबाकू का सेवन सख्त वर्जित है।
अगले दिन सुबह फिर से भगवान विष्णु की पूजा करें। किसी ब्राह्मण को भोजन खिलाएं। इसके बाद शुभ मुहूर्त में व्रत खोलें।
इस व्रत में फलों का सेवन किया जा सकता है।


