कोलकाता। बंगाल के मुख्य सचिव को दिल्ली बुलाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। हालिया घटनाक्रम के तहत, जिस दिन पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय को नई दिल्ली में ‘कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग’ को रिपोर्ट करने के लिए कहा गया था, उसी दिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने बंदोपाध्याय को राज्य से रिलीज नहीं करने की बात कही है।
उन्होंने प्रधानमंत्री से बंदोपाध्याय को वापस बुलाने के लेटर को वापस लेने का भी आग्रह किया ताकि बंदोपाध्याय कोविड संकट के कठिन समय में और चक्रवात यास के बाद प्रशासन का नेतृत्व करना जारी रख सकें। उन्होंने कहा, मैं विनम्रतापूर्वक आपसे अनुरोध करती हूं कि आप अपने निर्णय को वापस लें, अपने निर्णय पर पुनर्विचार करें और व्यापक जनहित में नवीनतम तथाकथित आदेश को रद्द करें।
पश्चिम बंगाल सरकार इस महत्वपूर्ण समय पर अपने मुख्य सचिव को रिलीज नहीं कर सकती है। हमारी समझ के आधार पर कि लागू कानूनों के अनुसार वैध परामर्श के बाद जारी किया गया विस्तार का पिछला आदेश जारी और वैध है। ममता बनर्जी ने लिखा, नवीनतम आदेश भी स्पष्ट रूप से लागू कानूनों के उल्लंघन और जनहित के खिलाफ है।
मैं इस गंभीर समय में ईमानदारी से संघीय सहयोग की आशा करती हूं, जिस भावना से मैं 28 मई, 2021 को आपसे मिलने के लिए कलाइकुंडा गई थी। मुझे यकीन है कि आप इस राज्य के लोगों को एक अनुभवी अधिकारी (राज्य में नौकरशाही संवर्ग के प्रमुख) की सेवाओं को बिना किसी परामर्श के और बिना किसी पूर्व सूचना के समाप्त करके पीड़ा नहीं देंगे।
ममता बनर्जी कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा लिखे गए उस पत्र का जिक्र कर रही थीं, जिसमें बंदोपाध्याय को 31 मई को केंद्र सरकार में शामिल होने के लिए कहा गया था। बंदोपाध्याय सामान्य रूप से 31 मई को सेवानिवृत्त होने वाले थे, लेकिन राज्य सरकार के अनुरोध के बाद उन्हें तीन महीने का विस्तार दिया गया था।
बता दें कि हाल ही में पीएम मोदी ने तूफान प्रभावित पश्चिम बंगाल का दौरा करने के बाद समीक्षा बैठक बुलाई थी। इस बैठक में बंगाल की ममता बनर्जी और उनके करीबी माने जाने वाले मुख्य सचिव अलापन बंद्दोपाध्याय भी 30 मिनट देरी से पहुंचे थे। जिसके बाद ममता सरकार और केंद्र के बीच लगातार राजनीति विवाद बना हुआ है।


