प्लास्टिक प्रदूषण अब वैश्विक समस्या बन गयी है। इसमें कोई शक नहीं कि प्लास्टिक का इस्तेमाल कई सारे व्यवहारिक कामों में होता है। हालंाकि, सिंगल-यूज प्लास्टिक की लत और जरूरत से ज्यादा निर्भरता की वजह से पर्यावरण पर उसका गंभीर दुष्परिणाम हुआ है। प्लास्टिक उन कुछेक सामग्रियों में से एक है, जो आसानी से गलते नहीं हैं। एक छोटी-सी प्लास्टिक की थैली को भी डिकम्पोज होने में लगभग दो दशक का समय लग जाता है? और इसकी वजह से हमने बहुत बड़ी संख्या में प्लास्टिक का कचरा इकट्ठा कर लिया है।
‘अंतरराष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस‘ के मौके पर एण्डटीवी के कलाकारों ग्रेसी सिंह (संतोषी मां, ‘संतोषी मां सुनाएं व्रत कथाएं‘), हिमानी शिवपुरी (कटोरी अम्मा, ‘हप्पू की उलटन पलटन‘) और ‘भाबीजी घर पर हैं‘ के रोहिताश्व गौड़ (मनमोहन तिवारी) और नेहा पेंडसे (अनिता भाबी) ने छोटी-छोटी कोशिशों और छोटे कदमों के बारे में बात की, जो दुनिया को प्लास्टिक मुक्त बनाने में बहुत बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं।

ग्रेसी सिंह ऊर्फ एण्डटीवी के ‘संतोषी मां सुनाएं व्रत कथाएं‘ की संतोषी मां कहती हैं, ‘‘मैं 3 आर- रीड्यूस, रीयूज और रीसाइकिल वाले काॅन्सेप्ट की बहुत बड़ी समर्थक हूं। इससे आखिरकार हमें चैथा आर मिलता है, यानी रिडैंस (छुटकारा पाना)। मैं अपने घर पर प्लास्टिक का कम से कम इस्तेमाल करती हूं और मेरे पास जो प्लास्टिक है उसे मैं रीयूज और रीसाइकिल करने की कोशिश करती हूं। इतना ही नहीं, मैंे अपने स्टाफ को भी प्लास्टिक के नुकसान के बारे में समझाती रहती हूं। यदि हम पर्यावरण पर प्लास्टिक के दुष्परिणामों के बारे में जागरूकता फैलायें तो ज्यादा से ज्यादा लोग प्लास्टिक के खिलाफ अभियान में एकजुट होंगे और दूसरे विकल्पों को अपनायेंगे। इस ‘अंतरराष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस‘ के मौके पर मैं सबसे कहना चाहूंगी कि खुद से शुरूआत करें और उसके बाद बाकी लोगों को प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल करने से बचने के लिये दूसरे तरीके अपनाने के लिये प्रेरित करें।‘‘
हिमानी शिवपुरी, ऊर्फ एण्डटीवी के ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ की कटोरी अम्मा कहती हैं, ‘‘मैं काफी लंबे समय से कपड़े और जूट से बने थैलों का इस्तेमाल करती आ रही हूं। ये ना केवल टिकाऊ होते हैं, बल्कि हमारी धरती के लिये भी सुरक्षित हैं। मैं 50 माइक्रोन्स की मोटाई से कम प्लास्टिक का इस्तेमाल करने से बचती हूं। ये प्लास्टिक पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं और साथ ही जानवरों के लिये भी जहरीले होते हैं। कचरे के डिब्बे में खाना ढूंढते समय ये जानवर अक्सर इन प्लास्टिक बैग्स को भी निगल जाते हैं। हम अपने आस-पास के जीव-जंतुओं के बारे में बिना सोचे, अपनी सुविधा के लिये प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल करते हैं। ‘अंतरराष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस‘ जैसे मौके हमें उस नुकसान की याद दिलाते हैं जो हमने किये हैं और हमें प्लास्टिक बैग से दूरी रखने के लिये प्रेरित करते हैं। ऐसे दिवस हमें ज्यादा ईको-फ्रेंडली तरीके अपनाने की प्रेरणा देते हैं। मैं अपनी तरफ से छोटा-सा प्रयास कर रही हूं और उम्मीद करती हूं आप भी करेंगे।‘‘

रोहिताश्व गौड़ ऊर्फ एण्डटीवी के ‘भाबीजी घर पर हैं‘ के मनमोहन तिवारी कहते हैं, ‘‘जब से प्लास्टिक अस्तित्व में आया है,इसने रिटेल इंडस्ट्री की तो कायापलट कर दी है। पैकेजिंग से लेकर प्रोडक्ट के डिजाइन और रिटेलिंग सारी चीजों में प्लास्टिक ने अपने पैर जमा लिये। प्लास्टिक ऐसे तैयार किया गया है कि ये लंबे समय तक चलें, लेकिन इसका एक नुकसान भी है यह गलने में ज्यादा लंबा वक्त लेते हैं। सिंगल प्लास्टिक स्ट्राॅ डिकम्पोज होने के लिये 200 साल का समय लेते हैं! लेकिन जब हम बेवरेजेस का मजा लेते हैं तो इसके बारे में शायद ही कभी सोचते हैं। अब इस पर सोचने का वक्त आ गया है। जब प्लास्टिक को डिस्पोज करने की बात आती है तो मैं काफी सतर्कता बरतता हूं। प्रभावी रूप से डिस्पोजल के लिये, कचरे की सही तरह से छंटनी करना जरूरी है। कचरे को अलग-अलग कैटेगरी में बांटने से पर्यावरण को स्वच्छ रखने में मदद मिल सकती है। मैं प्लास्टिक को गीले और आॅर्गेनिक कचरे से अलग रखता हूं और उसके बाद मैं साफ-सुथरे अलग किये गये प्लास्टिक को कचरा बीनने वालों या फिर रीसाइकलिंग एजेंसियों को दे देता हूं। मैं सभी लोगों से कहना चाहूंगा कि प्लास्टिक मैनेजमेंट का आसान तरीका अपनायें, क्योंकि यह भविष्य में बहुत बड़ा प्रभाव ला सकते हैं।‘‘
नेहा पेंडसे ऊर्फ एण्डटीवी के ‘भाबीजी घर पर हैं‘ की अनीता भाबी कहती हैं, ‘‘सिंगल-यूज प्लास्टिक सबसे ज्यादा खतरनाक होते हैं। ये छोटे और पतले लग सकते हैं लेकिन पर्यावरण पर इसके जैसा दुष्प्रभाव कोई और नहीं डालता। चाय के कप से लेकर सब्जियों के बैग और कवर्स तक, ये सारी चीजें सिंगल-यूज प्लास्टिक से बनी होती हैं। यह हमारे रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गये हैं, इसलिये हमें इसके इस्तेमाल को लेकर थोड़ा चैकन्ना रहने की जरूरत है। इस समस्या के लिये रिप्लेसमेंट बहुत अहम है। प्लास्टिक की जगह बायोडिग्रेडेबल विकल्प बड़ा बदलाव ला सकते हैं। पेपर, कपड़े, जूट से लेकर नारियल के पत्तों और बांस से बनी चीजें आसानी से मिल जाती हैं। ये विकल्प हमारे पर्यावरण और सेहत के लिये सुरक्षित हैं। इस बात पर मुझे बहुत गर्व है कि महाराष्ट्र सिंगल-यूज प्लास्टिक पर बैन लगाने वाले भारतीय राज्यों में से एक है। इससे बाकी राज्यों को भी इसी तरह का कदम उठाने की प्रेरणा मिली है।’’
देखिये, ग्रेसी सिंह को संतोषी मां के रूप में ‘संतोषी मां सुनाएं व्रत कथाएं‘ में रात 9 बजे, हिमानी शिवपुरी को कटोरी अम्मा के रूप में ‘हप्पू की उलटन पलटन में‘ रात 10 बजे, रोहिताश्व गौड़ को मनमोहन तिवारी के रूप में और नेहा पेंडसे को अनीता भाबी के रूप में ‘भाबीजी घर पर हैं‘ में रात 10.30 बजे, सिर्फ एण्डटीवी पर!


